Valley of Flowers National Park: अगर आप सच में खुद को एक नेचर लवर कहते हैं तो फूलों की घाटी आपको जरूर घूमना चाहिए। मैं जब यहां पर घूमने गया तो यहां की प्रकृति से मुझे प्यार हो गया। यहां पर घूमने पर आपको प्रकृति के ऐसे नजारे देखने को मिलते हैं जो शायद कहीं और नजर नहीं आएंगे। यहां पर जून के महीने से लेकर सितंबर के महीने के बीच में अगर आप घूमने जाएंगे, तो सुकून के कुछ बेहतरीन पल गुजार पाएंगे। यहाँ पर बहुत सारी ऐसी शानदार जगह है जहां पर आप घूम सकते हैं। ट्रैकिंग कर सकते हैं और फूलों की घाटी का आनंद उठा सकते हैं।
अगर आपने अभी तक फूलों की घाटी नहीं देखी है तो मैं आपको यहां पर अपना ट्रैवल एक्सपीरियंस बताने वाला हूं, जिसे सुनने के बाद शायद आप भी इस जगह पर खुद को जाने से नहीं रोक पाएंगे। इसके साथ ही इस यात्रा पर आप कैसे जाएंगे, कहां पर ठहरेंगे, कितना खर्चा होगा? ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी भी इस आर्टिकल में नीचे आपको दी जाएगी।
फूलों की घाटी की जानकारी
यहां पर घूमने के बाद मुझे पता लगा कि यह धरती की सबसे सुंदर जगह में से एक है। यहां पर अल्पाइन घास के मैदान है जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है। हिमालय के क्षेत्र में पाई जाने वाली बहुत सारी दुर्लभ वनस्पतियां यहां पर भी पाई जाती हैं। इसी वजह से अक्सर यहां पर वनस्पति शास्त्री, अनेक खोजकर्ता भी आते रहते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां पर आपको अलग-अलग रंग देखने को मिलेंगे और शायद ऐसा नजारा आपको धरती पर और कहीं देखने को नहीं मिलेगा। भारत में अगर आप अपनी यात्रा की शुरुआत करना चाहते हैं तो फूलों की घाटी को पहले नंबर पर रख सकते हैं।
आपको बता दे कि उत्तराखंड के चमोली जिले में यह एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। जहां पर फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान देखकर आपका मन प्रसन्न हो जाएगा। समुद्र तल से करीब 3352 मीटर ऊपर स्थित यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। हालांकि यहां पर आपको ज्यादातर यात्रा पैदल चलकर ही करनी होगी। बात करें इस राष्ट्रीय उद्यान की तो यह 87 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जो करीब 2 किलोमीटर चौड़े और 8 किलोमीटर लंबाई में है।
यहां के प्राकृतिक नजारे देखकर आपकी आत्मा तृप्त हो जाएगी। यहां पर चलने वाली धुंधली हवाएं आपको मोहित कर लेगी। यहाँ एक ऐसी सुंदरता आपको देखने को मिलती है, जहां से जाने का मन आपका नहीं करेगा। यहां पर आपको विशाल घास के मैदान, अलग-अलग वनस्पतियां, अलग-अलग प्रकार के फूल मिलते नजर आते हैं। सूरज की रोशनी में आपको लाल, पीले, नीले, हरे फुल बेहतरीन एक्सपीरियंस देते हैं। मई और जून की गर्मी में भी आपके यहां पर ठंड का एहसास होगा, जिससे आप मंत्र मुग्ध हो जाएंगे।
फूलों की घाटी घूमने का सबसे अच्छा समय
अगर आप फूलों की घाटी घूमना चाहते हैं तो जून के महीने से लेकर सितंबर के महीने में घूम सकते हैं। यहां पर आपको सबसे अच्छा जून की गर्मी में घूमने लगेगा। अगर आप जुलाई अगस्त और सितंबर के महीने में इस फूलों की घाटी में घूमने जाएंगे तो यहां पर आपको हर तरफ सुंदर फूल दिखाई देंगे। साथ में अगर कैमरा होगा तो इस खूबसूरत नजारे को आप कैद करना नहीं भूलेंगे।
फूलों की घाटी पहुँचने का तरीका
मैंने जब अपनी यात्रा दिल्ली से शुरू की तो पता नहीं था कि इतना अच्छा अनुभव इस यात्रा का रहने वाला है। आप दिल्ली से बस, कार, ट्रेन या फ्लाइट के माध्यम से यहां पर जा सकते हैं। मैंने यहां पर पूरी यात्रा ट्रेन के माध्यम से पूरी की है। नीचे आप अलग-अलग रूट के माध्यम से यात्रा कर सकते हैं।
Bus
अगर आप बस से यात्रा कर रहे हैं तो दिल्ली से सबसे पहले आपको हरिद्वार ऋषिकेश के लिए बस लेनी होगी। यहां पर पहुंचने के बाद आप गोविंदघाट जाने के लिए बस ले सकते हैं। यहां से आगे का रास्ता आपको पैदल और ट्रैकिंग के माध्यम से पूरा करना होगा। इस दौरान आपको लगभग ₹700 तक बस का किराया देना पड़ सकता है।
Car
अगर आपके पास खुद की कर है तो आप इस यात्रा को और भी सुखद बना सकते हैं। आपको अपनी कार के माध्यम से किसी भी रूट का उपयोग करते हुए सबसे पहले गोविंद घाट पहुंचना है। गोविंद घाट पर आपको अपनी कार पार्क कर देनी है। यहां से करीब 13 किलोमीटर पैदल चलकर आपको घांघरिया पहुंचना होगा। यहीं पर फूलों की घाटी का बेस कैंप है यहां से फूलों की घाटी तीन से चार किलोमीटर दूर पड़ती है जो आपको पैदल ही जाना होगा।
Train
आप भारत में कहीं से भी रेल यात्रा कर रहे हैं तो आपको सबसे पहले ऋषिकेश के लिए ट्रेन पकड़नी होगी। ऋषिकेश उतरने के बाद आपको किसी बस या टैक्सी की सहायता से गोविंद घाट पहुंचना होगा, जहां से आपका सफर बहुत ही रोमांचक होने वाला है।
Flight
यहां पर जाने के लिए कोई भी सीधी फ्लाइट नहीं है। यहां पर नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून है जो फूलों की घाटी से करीब 158 किलोमीटर दूर है। यहां पर पहुंचने के बाद आपको बस या टैक्सी की मदद से ही गोविंद घाट तक पहुंचना होगा।
फूलों की घाटी में ठहरने की व्यवस्था
आपकी जानकारी के लिए बता दे की फूलों की घाटी में रात में रुकने की व्यवस्था आपको नहीं मिलती है, क्योंकि यह एक राष्ट्रीय उद्यान है और यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है। ऐसे में उत्तराखंड प्रशासन द्वारा यहां पर आपको रात भर रुकने की परमिशन नहीं मिलती है। मैं जब यहां पर घूमने गया तो ठहरने की व्यवस्था मुझे घंगारिया और गोविंद घाट पर ही मिली, जो इस फूलों की घाटी का प्रवेश द्वार है।
घंगारिया में आपको ठहरने की व्यवस्था मिल जाती है। यहां पर आपको बहुत सारे लॉज और होटल मिल जाते हैं। जहां पर बुकिंग करके आप अपनी आवश्यकता के अनुसार ठहर सकते हैं। मैंने यहां पर यात्रा के दौरान एक लॉज में रात गुजारी थी।
फूलों की घाटी की यात्रा की शुरुआत गोविंद घाट से ही हो जाती है। यहां पर भी आपके ठहरने की विभिन्न व्यवस्था है जिसे आप अपनी आवश्यकता के अनुसार बुकिंग करके उपयोग कर सकते हैं। गोविंद घाट पर आपको हेमकुंड साहिब यात्रा पर जाने के लिए रास्ता मिल जाता है। यहां पर घांघरिया से करीब 6 किलोमीटर ट्रैकिंग करने के बाद में 4329 मीटर की ऊंचाई पर हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा स्थित है।
आप चाहे तो फूलों की घाटी के अलावा यहां पर भी आ सकते हैं। लेकिन यहां पर आने के लिए फूलों की घाटी से आपको बहुत लंबा रास्ता तय करना होगा। मतलब घांघरिया से आपके करीब तीन से चार किलोमीटर दूर फूलों की घाटी मिलेगी। तो वही घंगारिया से दूसरे रास्ते पर करीब 6 किलोमीटर ट्रैकिंग करने के बाद हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा मिलेगा।
यह भी पढ़े
- Chandragiri Odisha: भारत का छुपा हुआ मिनी-तिब्बत, जाने इसकी ख़ूबसूरती के बारे में
- ‘’खज्जियार यात्रा: हिमाचल की मिनी स्विट्ज़रलैंड का जादुई अनुभव’’
- ‘कोवलम यात्रा: दक्षिण भारत का समंदर किनारे का रत्न’
- पंगोट (उत्तराखंड) की पहाड़ियों में सुकूनभरी एक सुबह
- रानीखेत के पर्यटक स्थल बनाते हैं उत्तराखंड को और भी ज्यादा खूबसूरत
फूलों की घाटी में एडवेंचर और घूमने लायक जगह
फूलों की घाटी की इस खूबसूरत यात्रा के दौरान फूलों की घाटी ट्रैक का अनुभव लेना सबसे बेहतरीन है। यह भारत का सबसे पुराना ट्रैक माना जाता है, हालांकि यह रास्ता जितना दिखने में आसान है। यहां की ट्रैकिंग उतनी ही खतरनाक है जिसमें आपको थोड़ा ज्यादा समय देना होता है। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा तक आपके करीब 4329 मीटर ऊंचाई पर पहुंचना होता है, जिसके लिए आपको कई घंटे का समय लग जाता है। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा जहां पर आपको एक रात ठहरने की व्यवस्था निशुल्क लंगर में खाना मिल जाता है, यहां पर सब कुछ बहुत साफ सुथरा रखा जाता है।
इसी यात्रा के दौरान माना अवश्य देखना चाहिए। यह तिब्बत की सीमा पर स्थित एक खूबसूरत गांव है। जहां पर बहुत सारी इंडो मंगोल जनजातियां रहती है। आने वाले टूरिस्ट का यह जनजातियां बहुत ख्याल रखती हैं।
इसके साथ ही आप यहां पर जोशीमठ घूमने ना भूले, उत्तराखंड में यह समुद्र तल से करीब 6150 फीट ऊंचाई पर स्थित हिंदुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर आपको भगवान बद्री नारायण का मंदिर भी मिल जाता है।
भोजन और खाने पीने की व्यवस्था
अगर आप गोविंद घाट पर ठहरे हुए हैं तो यहां पर आपको बहुत सारी दुकान मिल जाती है। जहां पर आपको खाने के लिए मैगी पराठे कई प्रकार के स्नैक्स आदि मिल जाते हैं। आप चाहे तो छोटी-मोटी खाने पीने की सामग्री अपने बैग में रख सकते हैं। ताकि आगे ट्रैकिंग के दौरान और पहले यात्रा के दौरान आपके काम आएगी।
घांघड़िया में अगर आप ठहरे हुए हैं तो यहां पर आपको खाने-पीने की सामग्री ज्यादा नहीं मिलती है। ऐसे में आपको गोविंदघाट से ही खाने पीने की सामग्री अपने बैग में रख लेना है। क्योंकि गोविंद घाट से निकलने के बाद यात्रा पूरी करने में आपको बहुत समय लगने वाला है।
Budget and Expenses
इस यात्रा को पूरा करने में आप अपनी आवश्यकता के अनुसार कितना भी खर्च कर सकते हैं। बात करें यहां पर मिनिमम बजट की तो इस यात्रा के लिए दिल्ली से शुरुआत करने पर करीब ₹10000 से ₹15000 का बजट आपके पास होना जरूरी है। हालांकि मैंने यह यात्रा मात्र चार से ₹5000 के बजट में पूरी की है। क्योंकि मैंने ज्यादा से ज्यादा सफर पैदल पूरा किया है और गुरुद्वारे में ठहरने की वजह से आपका वहां पर स्टे करने का और भोजन का खर्चा भी बच जाता है। अगर आप फ्लाइट से यात्रा करते हैं तो आपका बजट ज्यादा हो सकता है।
फूलों की घाटी खुलने का समय और प्रवेश शुल्क
फूलों की घाटी में एंट्री के लिए सुबह 6:00 बजे से ही टिकट मिलना शुरू हो जाता है। टिकट की कीमत करीब 150 रुपए है जो करीब तीन दिन के लिए मान्य होती है। फूलों को घाटी सुबह 7:00 बजे ओपन हो जाती है यहां पर अंतिम प्रवेश दोपहर को 2:00 बजे तक दिया जाता है। पूरी घाटी घूमने के बाद आपको शाम को 5:00 बजाने से पहले प्रवेश द्वार पर वापस लौट आना है।