तुंगनाथ मंदिर की संपूर्ण जानकारी।

तुंगनाथ मंदिर की संपूर्ण जानकारी।

तुंगनाथ मंदिर के अंदर भगवान शिव की पूजा की जाती है। यहां पर भगवान शिव के पांच रूपों में से एक रूप की पूजा की जाती है। तुंगनाथ मंदिर पंच केदार का सबसे ऊंचा मंदिर है और यह 3,690 मीटर यानी कि 12,106 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर चंद्रशिला की चोटी के नीचे बना हुआ है। तुंगनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित किया गया है और यहां की मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया था। मंदिर कि सरंचना साधारण मंदिर जैसी है और इसकी चोटी पिरामिड के आकार की है। यह मंदिर देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है जिस कारण से यहां का दृश्य और भी मनमोहक हो जाता है और इसी कारण से यहां पर हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

तुंगनाथ मंदिर का इतिहास 

दोस्तों आर्टिकल में आगे बढ़ने से पहले हम एक बार तुंगनाथ मंदिर के इतिहास पर भी नजर डाल लेते हैं- तुंगनाथ मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और इसके निर्माण के पीछे पांडवों थे। तो चलिए जानते हैं कि किस प्रकार से पांडवों ने तुंगनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।

जब पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध हुआ और युद्ध होने के पश्चात पांडवों के मन में पश्चाताप होने लगा कि उनके हाथों कितनी मौतें हुई और इसी कारण से उन्होंने अपने गुरु व्यास जी से सलाह मांगी।

और इस पर गुरु व्यास जी ने उन्हें भगवान शिव की पूजा करने की सलाह दी- कि अगर आप भगवान शिव की पूजा करोगे तो आपके सभी पाप दूर हो सकते हैं। इसी कारण से पांडव भगवान शिव की तलाश में निकल गए और भगवान शिव की तलाश करते करते पांडव अंत में तुंगनाथ पर्वत पर पहुंचे जहां पर भगवान शिव ने पांडवों को बेल के रूप में दर्शन दिए और कहा कि अगर आप मेरा मंदिर यहां पर बनाएंगे तो मैं आपको क्षमा कर दूंगा। और इसी के कारण पांडवों ने भगवान शिव के कहने पर तुंगनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था और भगवान शिव इस कारण से उनकी भक्ति से काफी प्रसन्न हुए थे।

तुंगनाथ मंदिर कैसे जाएं

दोस्तों अगर आप भी तुंगनाथ मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास तीन विकल्प हो सकते हैं। उनके द्वारा आप तुंगनाथ मंदिर तक बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर आप तुंगनाथ से दूरदराज इलाके में रहते हैं तो आप हवाई मार्ग या ट्रेन मार्ग को चुन सकते हैं। अन्यथा अगर आप तुंगनाथ मंदिर के नजदीकी एरिया में रहते हैं तो आप सड़क मार्ग के द्वारा भी तुंगनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं। तो चलिए इन तीनों विकल्पों को थोड़ा विस्तार से समझते हैं।

हवाई मार्ग

अगर आप तुंगनाथ मंदिर तक हवाई सफर करके आना चाहते हैं तो इसके लिए आपको आपका सबसे निकटतम हवाई अड्डा जो देहरादून जौली ग्रांट हवाई अड्डा है, यह हवाई अड्डा तुंगनाथ से लगभग 232 किलोमीटर दूर स्थित है एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद आप चोपता के लिए टैक्सी अन्यथा बस का सहारा ले सकते है। तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए यह आपका प्रथम बिंदु रहेगा।

ट्रेन मार्ग

अगर आप ट्रेन का सफर पसंद करते हैं तो आप ट्रेन के द्वारा भी तुंगनाथ मंदिर तक आ सकते हैं। तुंगनाथ मंदिर तक ट्रेन से आने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन रहेगा जो कि तुंगनाथ से लगभग 205 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के पश्चात आप बस या टैक्सी का सहारा ले सकते हैं, जिससे कि आप चौपाल तक पहुंच पाए।

सड़क मार्ग

अगर आप सड़क मार्ग से तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचना चाहते हैं तो ऋषिकेश, देहरादून, उत्तराखंड के कई ऐसे बड़े शहर हैं जहां से आपको चोपता के लिए टैक्सी और बस बड़ी आसानी से मिल जाएगी। और इस प्रकार से आप सड़क मार्ग के द्वारा चोपता तक पहुंच सकते हैं। चोपता से तुंगनाथ 3.5 किलोमीटर दूर है, जिसे पूरा करने में 2 से 3 घंटे का समय लग जाएगा। और इस प्रकार से आप सड़क मार्ग के द्वारा तुंगनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

तुंगनाथ मंदिर में घूमने का सही समय

दोस्तों अगर आप तुंगनाथ मंदिर जाना चाहते हैं और आपके मन में सवाल आ रहा है कि तुंगनाथ मंदिर में घूमने का सही समय कौन सा है तो दोस्तों अप्रैल से नवंबर के दौरान तुंगनाथ में घूमने का समय बेहतरीन समय है क्योंकि इस दौरान यहां का तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जिससे कि ट्रैकिंग और भी आसान हो जाती है। और इस मौसम में आपको यहां पर बर्फबारी और बारिश नहीं देखने को मिलती और मौसम काफी सुहावना रहता है। इसलिए ज्यादातर यात्री इस मौसम में तुंगनाथ घूमने के बारे में सोचते हैं।   

दोस्तों अगर आप अप्रैल से जून के महीने में तुंगनाथ मंदिर में घूमने की सोच रहे हैं तो आपको यह जानकारी होना जरूरी है कि आप अपनी रहने की व्यवस्था पहले से ही कर के आए क्योंकि इस मौसम के दौरान तुंगनाथ के अंदर काफी ज्यादा पर्यटकों की भीड़ रहती है। फलस्वरूप, आपको अपने रहने की व्यवस्था करने में भी काफी ज्यादा दिक्कत आएगी इसीलिए आप अपने घर से ही अपना होटल या फिर धर्मशाला बुक कर के आए। अप्रैल से जून का महीना गर्म होता है इसलिए आपको तुंगनाथ में हिमालय के दर्शन भी अच्छे खासे हो जाएंगे। इस मौसम में तुंगनाथ से हिमालय के दर्शन करने का नजारा और भी खुबसूरत होता हैं। 

निष्कर्ष :- 

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने तुंगनाथ मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल की, हमने यहां पर देखा कि किस प्रकार से इस मंदिर के अंदर भगवान शिव के पंच केदार में से एक रूप की पूजा की जाती है। इस मंदिर के बारे में आर्टिकल के अंदर हमने आपको लगभग पूरी जानकारी देने की कोशिश की है ताकि आपको मन मे इस मंदिर के बारे में किसी भी प्रकार का सवाल न रहे। और अगर आपको आर्टिकल में दी हुई जानकारी अच्छी लगी हो तो इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर जरूर करें।

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